What is genetically modified crops and their profit and losses||अनुवांशिक रूपांतरित फसल|| जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स|| Genetically MODIfied crops||GM Crops in hindi||GEAC|| - AGRICULTURE

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What is genetically modified crops and their profit and losses||अनुवांशिक रूपांतरित फसल|| जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स|| Genetically MODIfied crops||GM Crops in hindi||GEAC||

 


What is genetically modified crops and their profit and losses||अनुवांशिक रूपांतरित फसल|| जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स|| Genetically MODIfied crops||GM Crops in hindi||GEAC||



हेलो नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी का मैं सुधीर भार्गव आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूं आज हम लोग डिस्कस करेंगे जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स (अनुवांशिक रूपांतरित फसल) genetically MODIfied crops के बारे मे।




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अनुवांशिक रूपांतरित फसल जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स वह प्राप्त होती हैं जिसमें अनुवांशिक अभियंत्रिकी तकनीक द्वारा उनके डीएनए अर्थात जीन में परिवर्तन करके बनाई जाती हैं यह कार्य बहुत ही सूचना होता है तथा यह कार्य लेबोरेटरी में किया जाता है।



इसका मुख्य उद्देश्य कुछ विशेष करैक्टर अर्थात गुणों को फसल में शामिल करना अथवा उनको निकाल देना जिससे फसल में पोषक तत्व तथा विटामिन तथा मिनरल्स और बहुत सी फसलों में लगने वाले कीट और रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को पैदा करना होता है।

जेनेटिकली मॉडिफाइड क्राफ्ट की शुरुआत 1980 में अमेरिका में हुई थी इसके बाद 1990 तक अमेरिका और कनाडा में कमर्शियल स्तर पर जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स का प्रोडक्शन होने लगा था।

जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स के मुख्य उद्देश्य

फसल की उपज को बढ़ाना फसलों के बीजों में पोषक तत्वों को बढ़ाना फसलों के उत्पाद की सेल्फ लाइफ को बढ़ाना फसलों में लगने वाली कीट और रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता तथा सूखा के प्रति सहनशीलता आदि गुणों को बढ़ाने gmo कारगर साबित दिखाई देती है।


Gm crops chronology in INDIA


2002 - भारत में बीटी कपास की शुरुआत हुई।
2006 - कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में जीएम फसलों के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर दी।
2010 - तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने वैज्ञानिकों के बीच आम सहमति की कमी और बैंगन उगाने वाले राज्यों के विरोध के कारण अगली सूचना तक बीटी बैंगन की रिहाई को रोक दिया। फील्ड ट्रायल के लिए राज्यों से अनापत्ति प्रमाण पत्र अनिवार्य किया गया था।
2012 - कृषि पर संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 37 वीं रिपोर्ट में देश में सभी जीएम फील्ड परीक्षणों को समाप्त करने के लिए कहा।
2013 जुलाई - 2012 के अंत से नई फसल परीक्षणों को प्रभावी ढंग से रोक दिया गया है, जब तक कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ पैनल ने 10 वर्षों के लिए निलंबन की सिफारिश की, जब तक कि नियामक और निगरानी प्रणाली को मजबूत नहीं किया जा सकता। हालांकि SC पैनल ने GM ट्रेल्स पर रोक लगाने का सुझाव दिया था, लेकिन इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई आधिकारिक फैसला नहीं आया।
2013 जुलाई - पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने एससी पैनल के सुझावों के बाद सभी परीक्षणों पर रोक लगवा दिया ।
2014 - उनके उत्तराधिकारी, वीरप्पा मोइली ने राहों का रास्ता साफ किया। (ध्यान दें: मनमोहन सिंह के अपने दो पर्यावरण मंत्रियों ने पहले जीएम परीक्षणों को रोक दिया था, लेकिन वीरप्पा मोइली ने एक विपरीत रुख अपनाया और एक एकड़ क्षेत्र में परीक्षण को मंजूरी देने की प्रक्रिया फिर से शुरू हुई।)

2014 मार्च - GEAC (genetic engineering appraisal commettee) (यूपीए सरकार) ने मक्का, चावल, ज्वार, गेहूं, मूंगफली और कपास सहित 11 फसलों के लिए फील्ड परीक्षण को मंजूरी दी।

2014 जुलाई - चावल, गेहूं, मक्का और कपास जैसी आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों की 21 नई किस्मों को जुलाई 2014 में एनडीए सरकार द्वारा फील्ड परीक्षण के लिए अनुमोदित किया गया है। जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) - जिसमें ज्यादातर जैव- प्रौद्योगिकी समर्थक - विचार के लिए 28 प्रस्तावों में से सिर्फ एक को खारिज कर दिया। अधिक जानकारी के अभाव में छह प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया गया।

2016: जीईएसी ने जीएम सरसों को फील्ड ट्रायल के लिए हरी झंडी दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी और उसी पर जनता की राय मांगी।

20 जीएम फसलें पहले से ही विभिन्न चरणों में चल रही हैं।




भारत में अब तक प्रवेश की गई जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स निम्नलिखित हैं बीटी कॉटन जो मृदा बैक्टीरिया बेसिलस थोरनजेनेसिस के  gene से डिवेलप की गई है या प्रोटीन टॉक्सिक विष को डिवेलप करता है जिससे काटन में लगने वाल पिंक बॉल वर्म के प्रति प्रतिरोधक क्षमता आ जाती है

दूसरा है  हेर्बीसाइड टोलेरेंट बीटी कॉटन जो दूसरे बेसिलस बैक्टीरिया से तैयार किया गया है जो glyphosete  हरवी साइट के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है

डीएमएच मस्टर्ड इसमें जेनेटिकली मॉडिफाइड करके क्रॉस पोलिनेटेड क्रॉप्स बनाई गई है जबकि यह प्राकृतिक रूप से सेल्फ पोलिनेटेड क्राफ्ट है।






2005 में भारत में ग्रीन रिवॉल्यूशन हरित क्रांति के पिता नॉर्मल अनिष्ट बोरलॉग भारत आए थे और उन्होंने कहा था कि भूखों मरने के बजाए हम सब जेनेटिकली मोडिफाइड फूड खाकर मरे तो बेहतर होगा तभी से भारत में जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स के प्रति रुझान और तेज हो गया और जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स पर कार्य ने गति पकड़ ली।





जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स के कुछ लाभ और हानियां निम्नलिखित हैं



जेनेटिकली मॉडिफाइड क्राफ्ट के कुछ लाभ

जेनेटिकली मोडिफाइड करा के उपयोग से अनुवांशिकी की ज्ञान में वृद्धि होगी और इस जिंदगी मॉडिफाइड से अनुवांशिक जैव विविधता के बारे में उच्च स्तर पर जानकारी भी प्राप्त होगी।

जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स से अधिक प्रॉफिट अर्थात लाभ होगा क्योंकि इससे कम समय में यानी छोटी अवधि के पौधे तैयार करके कम अवध में हम अधिक उत्पादन प्राप्त कर लेंगे और जब अधिक उत्पादन होगा तो उससे अधिक आमदनी भी प्राप्त होगी और यह जो है रोग और कीटों के प्रति प्रतिरोधक फसल होगी जिससे उस पेस्टिसाइड में लगने वाली लागत में कमी आएगी और हमें अधिक लाभ होगा।

जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स में न्यूट्रीशनल वैल्यू को हम ऐड कर लेंगे जिससे उसमें विटामिन और मिनरल्स की मात्रा अधिक हो जाएगी और यह फसलें पेस्टिसाइड मुक्त होंगी जिससे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होंगी।

जब मार्केट में अधिक मात्रा में फूड खाद्य पदार्थ उपलब्ध होंगे तो उनके मूल्य में भी गिरावट आएगी जिससे बाजार में वस्तुएं अपेक्षाकृत सस्ती मिलेंगी।

दिल टिकली मॉडिफाइड क्रॉप्स स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होंगी क्योंकि कुछ परीक्षणों से पता चला है कि या हुमन उपयोग के लिए सेफ हैं।

जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स से होने वाली कुछ हानियां निम्नलिखित हैं

पारिस्थितिकी तंत्र में जेनेटिकली मोडिफाइड क्राप के आने से जैव विविधता को खतरा मदराने लगेगा क्योंकि यह एग्रीकल्चर कृषि के जैव विविधता को प्रभावित कर सकता है

जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स की जड़े मृदा में कुछ residual इफेक्ट छोड़ती हैं जो मृदा में 6 वर्ष तक प्रभावशाली रहते हैं और यह मृदा में उपस्थिति कृषि नियामक को रेगुलेटर की जीवन शैली को प्रभावित कर सकती हैं।

जिंदगी मॉडिफाइड ग्राम बेनिफिशियल इंसेंट्स को डिटेक्ट कर सकती है या उसके दिन में परिवर्तन कर सकती है क्योंकि जब बेनिफिशियल इंसेक्ट मॉडिफाइड क्राफ्स की पत्तियों को खाएंगे तो उनके जीन में परिवर्तन संभव हो सकता है।

जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स के खाने से मानव में बहुत सी दवाओं के प्रति रेसिस्टेंस उत्पन्न हो जाएगी जिससे उसमें मेडिसिन का कोई प्रभाव नहीं दिखाई दे सकता है।

यह पूरी तौर से नहीं कार्ड कहा जा सकता है कि जो  gene ट्रांसफर कर रहे हैं वह अन्य जगह पर वही काम करेगा जो उसका काम था वह कुछ और भी कर सकता है अर्थात कुछ दूसरे कैरेक्टर को भी वह शेयर कर सकता है।

जेनेटिकली मोडिफाइड क्रॉप्स पारिस्थितिकी तंत्र की जैव विविधता के लिए खतरा बन सकता है।

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दोस्तों यह आर्टिकल कैसा लगा कमेंट सेक्शन में जरूर बताइएगा और यदि इस में कुछ गलतियां हो तो उसको भी कमेंट सेक्शन में बताइएगा ताकि हम अगली बार उसको सुधार करने का प्रयास करेंगे।
धन्यवाद।

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