मुगल साम्राज्य बाबर तथा हुमायूं संक्षिप्त परिचय / Mughal Samrajya Babar tatha hamayoon - AGRICULTURE

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मुगल साम्राज्य बाबर तथा हुमायूं संक्षिप्त परिचय / Mughal Samrajya Babar tatha hamayoon

 मुगल साम्राज्य


 मुगल साम्राज्य बाबर तथा हुमायूं संक्षिप्त परिचय / Mughal Samrajya Babar tatha hamayoon


मुगल वंश का संस्थापक बाबर था। बाबर एवं उत्तरवर्ती मुगल शासक तुर्क एवं सुन्नी मुसलमान थे। बाबर ने मुगल वंश की स्थापना के साथ ही पद-पादशाही की स्थापना की, जिसके तहत शासक को बादशाह कहा जाता था।




बाबर (15261530 ई.)




> बाबर का जन्म फरवरी, 1483 ई. में हुआ था। इसके पिता उमरशेख मिर्जा फरगाना नामक छोटे राज्य के शासक थे। बाबर फरगाना की गद्दी पर 8 जून, 1494 ई. में बैठा।




बाबर ने 1507 ई. में बादशाह की उपाधि धारण की, जिसे अब तक किसी तैमूर शासक ने धारण नहीं की थी। बाबर के चार पुत्र थे-हुमायूँ, कामरान, असकरी तथा हिंदाल।




बाबर ने भारत पर पाँच बार आक्रमण किया। बाबर का भारत के विरुद्ध किया गया प्रथम अभियान 1519 ई. में युसूफ जाई जाति के विरुद्ध था। इस अभियान में बाबर ने बाजीर और मेरा को अपने अधिकार में कर लिया।




पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने पहली बार तुगलमा युद्ध नीति एवं तोपखाने का प्रयोग किया था। उस्ताद अली एवं मुस्तफा बाबर के दो प्रसिद्ध निशानेबाज थे, जिसने पानीपत के प्रथम युद्ध में भाग लिया था।




बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध




पानीपत का प्रथम युद्ध




खानया का युद्ध




चन्देरी का युद्ध




घाघरा का युद्ध




परिणाम




 अप्रैल, 1526 इब्राहिम लोदी व बाबर बाबर विजयी 17 मार्च, 1527 राणा साँगा एवं बाबर बाबर विजयी




29 जन., 1528 मेदनी राय एवं बाबर यावर विजयी




6 मई, 1529 अफगानों एवं बाबर बाबर विजयी




> इब्राहिम लोदी मध्यकाल का प्रथम शासक था जो युद्धस्थल में




मारा गया। इसके साथ उसका मित्र ग्वालियर के राजा विक्रमजीत भी युद्धस्थल में मारा गया।




नोट: हुमायूँ ने कोहिनूर हीरा ग्वालियर के दिवंगत राजा विक्रमजीत के परिवार से प्राप्त किया था।




> बाबर को अपनी उदारता के लिए कलन्दर की उपाधि दी गयी। > यावर ने मुसलमानों को तमगा नामक कर से मुक्त कर दिया था। > खानवा युद्ध में बाबर ने राणा साँगा के खिलाफ जिहाद का नारा दिया और युद्ध में विजय के बाद गाजी की उपाधि धारण की। 30 जनवरी, 1528 ई. को जहर दे देने के कारण राणा साँगा की




मृत्यु हो गई।




बाबर ने बंगाल के शासक नुसरतशाह के साथ 6 मई, 1529 को एक दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करने का वादा करते हुए एक संधि की जिसके अनुसार नुसरतशाह ने अफगान विद्रोहियों को शरण न देने का वचन दिया।




> करीब 48 वर्ष की आयु में 26 दिसम्बर 1530 ई. को आगरा में




बाबर की मृत्यु हो गयी।




> प्रारंभ में वायर के शव को आगरा के आरामबाग में दफनाया गया, बाद में काबुल में उसके द्वारा चुने गए स्थान पर दफनाया गया। बाबर की मातृभाषा तुर्की थी लेकिन वह अरबी और फारसी का भी अच्छा ज्ञाता था। बाबर ने अपनी आत्मकथा बावरनामा (तुर्की में) की रचना की, जिसका अनुवाद बाद में फारसी भाषा में अब्दुल रहीम खानखाना ने किया अपनी आत्मकथा में बाबर ने औपचारिक यागों की योजनाओं और उनके बनाने में अपनी रुचि का वर्णन किया है। अकसर ये बाग दीवार से घिरे होते थे तथा कृत्रिम नहरों द्वारा चार भागों में विभाजित आयताकार अहाते में स्थित थे। चार समान हिस्सों में बँटे होने के कारण ये चौर बाग कहलाते थे। नोट: चार बाग बनाने की परम्परा की शुरुआत अकबर के समय से हुई।




> बाबर को मुबईयान नामक पद्यशैली का भी जन्मदाता माना जाता है। > बाबर प्रसिद्ध नक्शवन्दी सूफी ख्वाजा उबैदुल्ला अहरार का अनुयायी था। बाबर का उत्तराधिकारी हुमायूँ हुआ।








हुमायूँ (1530-1556 ई.)




- नसीरुद्दीन हुमायूँ, 29 दिसम्बर, 1530 ई. को आगरा में 23 वर्ष की अवस्था में सिंहासन पर बैठा। गद्दी पर बैठने से पहले हुमायूं बदख़्शा का सूबेदार था। अपने पिता के निर्देश के अनुसार हुमायूँ ने अपने राज्य का बैट अपने भाइयों में कर दिया। इसने कामरान को काबुल और कंधार, मित्र असकरी को सँभल, मिर्जा हिंदाल को अडपर एवं मेवाड़की जागी दीं। अपने चचेरे भाई सुलेमान मिर्जा को हुमायूँ ने बदख्शाँ प्रदेश दिया।




1533 ई. में हुमायूँ ने दीनपनाह नामक नए नगर की स्थापना की थी। चौसा का युद्ध 25 जून, 1539 ई. में शेर खाँ एवं हुमायूँ के बीच हुआ। इस युद्ध में शेर खाँ विजयी रहा। इसी युद्ध के बाद शेर खाँ ने शेरशाह की पदवी ग्रहण कर ली।




बिलग्राम या कन्नौज युद्ध 17 मई, 1540 ई. में शेर खाँ एवं मा के बीच हुआ। इस युद्ध में भी हुमायूँ पराजित हुआ। शेर खाई आसानी से आगरा एवं दिल्ली पर कब्जा कर लिया। बिलग्राम युद्ध के बाद हुमायूँ सिन्ध चला गया, जहाँ उसने 15 वर्ष




तक घुमक्कड़ों जैसा निर्वासित जीवन व्यतीत किया। > निर्वासन के समय हुमायूँ ने हिन्दाल के आध्यात्मिक गुरु फारसवास शिया मीर बाबा दोस्त उर्फ मीर अली अकबर जामी की पुत्री हमीदा बानू बेगम से 29 अगस्त, 1541 ई. को निकाह कर लिया। कालान्तर में हमीदा से ही अकबर जैसे महान सम्राट् का जन्म हुआ। 1555 ई. में हुमायूँ ने पंजाब के शूरी शासक सिकन्दर को पराजित कर पुनः दिल्ली की गद्दी पर बैठा।




> हुमायूँ द्वारा लड़े गए चार प्रमुख युद्धों का क्रम है: देवरा (1531 ई.)




चौसा (1539), बिलग्राम (1540) एवं सरहिन्द का युद्ध (1555 ई.)))




- 1 जनवरी, 1556 ई. को दीन पनाह भवन में स्थित पुस्तकालय (शेरमंडल) की सीढ़ियों से गिरने के कारण हुमायूँ की मृत्यु हो गयी।




हुमायूँ के बारे में इतिहासकार लेनपूल ने कहा है कि "हुमाये गिरते-पड़ते इस जीवन से मुक्त हो गया ठीक उसी तरह जिस तरह तमाम जिन्दगी वह गिरते-पड़ते चलता रहा था।"




हुमायूँनामा की रचना गुल-बदन बेगम ने की थी। हुमायूँ ज्योतिष में विश्वास करता था, इसलिए इसने सप्ताह सातों दिन सात रंग के कपड़े पहनने के नियम बनाए ।

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