विषुवतीय प्रदेशों में जैव विविधता तप्त स्थल के विकास के कारणों को बताते हुए इस क्षेत्र की चुनौतियों पर प्रकाश डालें। UPSC UPPSC - AGRICULTURE

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विषुवतीय प्रदेशों में जैव विविधता तप्त स्थल के विकास के कारणों को बताते हुए इस क्षेत्र की चुनौतियों पर प्रकाश डालें। UPSC UPPSC

 विषुवतीय प्रदेशों में जैव विविधता तप्त स्थल के विकास के कारणों को बताते हुए इस क्षेत्र की चुनौतियों पर प्रकाश डालें। 

UPSC UPPSC EXAMMINATION QUESTION


जैव विविधता तप्त स्थल पृथ्वी के 23 1/2 डिग्री उत्तर तथा 23 1/2 के बीच वाले भाग में पाई जाती है। 

23 1/2 डिग्री उत्तर को कर्क रेखा कहते हैं 23 1/2 दक्षिण को मकर रेखा कैसे हैं भारत का लगभग आधा भाग तक इस क्षेत्र में पाया जाता है। 



जैव विविधता तप्त स्थल के विकास के कारण निम्नलिखित जय का मुख्य कारण वहां पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें है जिसके कारण अधिक गर्मी होने के कारण वाष्पीकरण अधिक होता है जिससे बादल जल्दी बन जाते हैं और बहुत अधिक मात्रा में बरसात होती है जिससे वहां की वनस्पतियों में सूर्य के प्रकाश को पाने के लिए प्रतियोगिता होती रहती है। 


जैव विविधता तप्त स्थल विकास में सूर्य की किरणें साल भर विषुवत प्रदेशों पर सीधी पड़ती है। 


विश्वती प्रदेशों में वर्ष भर में 2 बार सूर्य एकदम को पर हो जाता है या सत्य घटना पृथ्वी के घूर्णन और परिक्रमण के कारण होती है। 


जैव विविधता तप्त क्षेत्र की चुनौतियां निम्नलिखित है


‌ कीटों के लिए संकट

‌ मानव जाति के लिए संकट 

‌जानवरों के लिए संकट 

‌कृषि के लिए संकट 

‌जंगलों के लिए संकट 

‌जलवायु के लिए संकट


मानव जाति के लिए संकट इन प्रदेशों में सरवर गर्मी पड़ने पर मानव के लिए अधिक चुनौती भरा है इन प्रदेश में गुप्त उस्मा अधिक होने के कारण मनुष्य की त्वचा काली हो जाती है जिससे वह लिखने में काले होते हैं जहरीले कीट पतंगों के भाई से पेड़ पौधों पर रहना पड़ता है जंगल अधिक सघनता होने के कारण उनका दोहन अधिक मात्रा में ना कर पाना। 


जंगलों के लिए संकट

जंगलों की अधिक सघनता के कारण वहां पर पर्याप्त के पड़ने पर छोटे पेड़ पौधों के लिए जीवन यापन कठिन करना बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि यहां पर सूर्य की किरणों के लिए प्रतियोगिता करनी पड़ती है। 

इन प्रदेशों में अधिक वर्षा होने के लिए कम पानी चाहने वाले पेड़ पौधों के जीवन यापन पर खतरा बना रहता है कुछ पेड़-पौधों की प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है क्योंकि यहां बरसात बहुत अधिक मात्रा में होती है जिससे कम पानी चाहने वाली फसलें नष्ट होती रहती हैं। 


कृषि के लिए संकट चाहने वाली फसलें जैव विविधता तप्त स्थल में नहीं हो पाती जैसे की दलहनी फसलें जो बहुत ही कम मात्रा में पानी चाहती हूं पर उस क्षेत्र में अधिक मात्रा में वर्षा होती है। 


कीटों के लिए संकट

सर के ऊपर तथा जमीन के अंदर रहने वाले जीवों को अधिक कठिनाई होती है पानी अधिक हो जाता है तो उन्हें पेडों रहना पड़ता है। 



सारांश


कुल मिलाकर जैव विविधता वाले क्षेत्रों में रहने वाले जीव जंतुओं तथा मनुष्यों को रहन-सहन में अधिक कठिनाई होती है। दूसरे प्रदेशों में रहने वाले जीव जंतु तथा मनुष्यों को ठहरना बहुत चुनौतीपूर्ण होगा। 




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