जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि के उत्पादन में हो रहे कमी को कैसे बढ़ाएं अर्थात हम किस प्रकार से कृषि के उत्पादन को अधिक से अधिक कैसे बढ़ा सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि के उत्पादन में हो रहे कमी को कैसे बढ़ाएं अर्थात हम किस प्रकार से कृषि के उत्पादन को अधिक से अधिक कैसे बढ़ा सकते हैं।
आज कृषि में जलवायु परिवर्तन तथा बरसात की अनियमितता के कारण किसानों को बहुत से प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिससे कृषि उत्पादन में स्थिरता में कमी आई है और यहां तक कि यहां तक कि उत्पादन में काफी मात्रा में कमी देखी गई है
इस कमी का सीधा असर हमारी जनसंख्या के भरण-पोषण के लिए अनाज की निर्भरता को सीधे सीधे प्रभावित करते करेगा
लगातार हो रहे जलवायु में परिवर्तन और वर्षा की अनियमितता के कारण फसल उत्पादन निरंतर कम होता जा रहा है और भी बहुत से कारण है जिनकी वजह से कृषि का उत्पादन घट रहा है यदि हम कुछ उपायों को अपनाएं तो शायद हम कृषि के उत्पादन को स्थिर या बढ़ाने में कुछ हद तक कामयाबी पा सकते हैं जिनके बारे में हम आज चर्चा करेंगे।
बदलती जलवायु के कारण कृषि के उत्पादन को बढ़ाना हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है और इस चुनौती से निपटने के लिए हमें बहुत ही सूझबूझ से कृषि की क्रियाएं और उसमें उपयोग होने वाले यंत्रों बीज, खाद और उर्वरक तथा अन्य रासायन जो फसलों को सुरक्षा प्रदान करते हैं कि हमें जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है यह जानकारी इंटरनेट के माध्यम से या किसी कृषि विज्ञान केंद्र से या कहीं किसी कृषि जानकारी ले सकते हैं।
कृषि का मशीनीकरण में परिवर्तन
आज का युग बहुत ही बदल गया है आज तरह-तरह की मशीनें बाजार में उपलब्ध हो गई है हमें चाहे खेत की बुवाई करनी हो या निराई करनी हो फसल की मड़ाई करनी हो चाहे आलू की खुदाई करनी हो सब तरह की मशीनें अब बाजार में उपलब्ध हो गई है तो किसान को चाहिए कि अब वह आज के आधुनिक मशीनीकरण युग में समय की बचत करने के लिए मशीनों का उपयोग करें जिससे समय की बचत होगी और लेबर कास्ट में कमी भी आएगी।
बीज का चयन
बीज का चयन करते समय हमें कई बातों को ध्यान में रखना चाहिए कि जहां से हम बीज ले रहे हैं वह संस्था कितना विश्वसनीय है क्योंकि आज के इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में बहुत से लोग लोगों से लूट फुट करते रहते हैं हमें बीज किसी विश्वसनीय जगह से ही लेना चाहिए जो पूरी तरह से शुद्ध सुरक्षित तथा उपचारित होना चाहिए।
सिंचाई की विधियों में परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है तथा साथ में जल की उपलब्धता में भी कमी आ रही है जिसके चलते हम किसानों को भी चाहिए कि हम फसल की सिंचाई में उन विधियों का उपयोग करें जिससे हम जल का अधिक से अधिक मात्रा में उपयोग कर सके और हमारे हमारी फसल भी उस जल का अधिक से अधिक मात्रा में उपयोग कर सकें और जल की बचत को सुनिश्चित कर सके इसके लिए हमें फसल में जितना पानी चाहिए उतना ही देना चाहिए हो सके तो हमें टपक सिंचाई भी दीया बहुत सारी सिंचाई विधि का उपयोग कर लेना चाहिए यदि हमारे पास उचित संसाधन उपलब्ध हो तो।
मिट्टी जांच कराना
कृषि के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसान भाइयों को सबसे पहले अपने खेत की मिट्टी की जांच कर आना अति आवश्यक है जिससे हम यह जान पाते हैं कि हमारी मिट्टी में किस तत्व की कमी और किस तत्व की अधिकता है जिसके अनुसार हम फसल को उसके संस्तुति के हिसाब से खाद देते हैं जिससे न केवल फसलों को उनको आवश्यक तत्व प्राप्त होते हैं बल्कि कृषक को उसे खाद का पैसा बच जाता हैं जो खेत की मिट्टी में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है।
उर्वरकों का सही मात्रा में उपयोग
जब हम उर्वरको का सही मात्रा में उपयोग करते हैं तो हमारी फसल को जितना पोषण प्राप्त करना होता है वह प्राप्त कर लेती है यदि हम यह मात्रा कम या ज्यादा करते हैं तो हमारी फसल प्रभावित होती है कमी के कारण रोग उत्पन्न हो जाते हैं और यदि ज्यादा होती है तो उससे भी स्ट्रेस पैदा होती है और इसके कारण ही रोग उत्पन्न हो जाते हैं और कीटों की आकर्षण क्षमता भी पड़ जाती है जिसे फसल में कीड़े और रोग अधिक लगते हैं यदि हम फसल में उपयोग करने वाली उर्वरक की मात्रा संतुलित नहीं देते हैं तो। इसलिए हमें फसल में संस्तुति के आधार पर ही संतुलित उर्वरक देनी चाहिए।
गोबर की खाद का उपयोग
गोबर की खाद में धीमी गति से पोषण प्रदान करने की क्षमता होती है गोबर की खाद डालने के बाद बहुत धीरे-धीरे अपना पोषण प्राप्त करते रहते हैं जबकि रासायनिक उर्वरक में बहुत ही उच्च मात्रा में पोषण प्रदान करने की क्षमता होती है लेकिन यह क्षणिक होती है इसीलिए हमें अपने खेत में 200- 250 कुंतल प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की सड़ी हुई खाद डालनी चाहिए।
वर्मी कंपोस्ट का उपयोग
अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत कम किसान हुआ करते थे जिनको वर्मी कंपोस्ट के बारे में जानकारी हुआ करती थी लेकिन अब इंटरनेट के जमाने में बहुत से ग्रामीण किसान भी वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करने लगे हैं और उसके फायदे भी जानने लग गए हैं अगर हमें कृषि के उत्पादन को बढ़ाना है तो हमें वर्मी कंपोस्ट को अपने खेत में फसल की बुवाई से पहले मिट्टी के तैयारी के समय खेत में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए यहां भी धीमी गति से पोषण प्रदान करने वाली एक खाद होती है जो केंचुए से बनाई जाती है।
हरी खाद का उपयोग
हरी खाद एक ऐसी खाद है जिसमें किस किसान का पैसा बहुत ही कम लगता है और खेत को सामर्थ बहुत अधिक मात्रा में मिलती है इसमें दलहनी फसलों को खेत में उगा कर उनकी परिपक्व अवस्था में फसल को काटकर मिट्टी में दबा दिया जाता है और पानी भर दिया जाता है जिससे फसल सड़कर हरी खाद बन जाती है और यह अगली बोई जाने वाली फसल को अधिक मात्रा में पोषण प्रदान करती है जिससे फसल का उत्पादन अतुलनीय मात्रा में बढ़ता है और भूमि की गुणवत्ता में भी काफी मात्रा में सुधार देखा जा सकता है।
रसायनों का उचित उपयोग
आजकल बाजार में बहुत से ऐसे रसायन उपलब्ध है जिनको फसल में उपयोग करने से रोग और कीट तो नहीं लगती लेकिन उनकी अपशिष्ट हानिकारक क्षमता काफी समय तक विद्यमान रहती है जो भूमि की गुणवत्ता को प्रभावित करती है तो किसान को चाहिए कि वह कम कम क्षमता वाले रसायनों का उपयोग करें और हो सके तो वह जैविक रसायनों का उपयोग करें जिससे फसल की गुणवत्ता उत्पादन क्षमता पोषण की मात्रा बाद में भारी मात्रा में लाभ होगा तथा भूमि की गुणवत्ता में सुधार होगा और पर्यावरण से संरक्षण में मदद मिलेगी।
कुल मिलाकर किसानों को अपनी फसल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए बहुत ही सजग व जागरूक रहना अति आवश्यक है उन्हें मौसम की जानकारी होना खाद की जानकारी होना कीटनाशक व बीज की जानकारी होना अति आवश्यक है इसके साथ साथ हैं कृषि विज्ञान केंद्र संगोष्ठी या किसी अन्य कृषि संस्थान से जुड़े रहना चाहिए जिससे उन्हें निरंतर नए-नए आयामा तरीके जो कृषि में खो जा रहे हैं की जानकारी हो सके।
दोस्तों यह आर्ट की आप सभी को कैसा लगा कमेंट सेक्शन जरूर बताइएगा यदि इसमें कोई त्रुटि हो तो उसे आप कमेंट सेक्शन में जरूर बताइएगा जिसका अगली बार सही करने का प्रयास करेंगे धन्यवाद।
सुधीर भार्गव।
Post a Comment