मानव की नई सोच/ सोचनीय प्रवृत्ति
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मानव की नई सोच/ सोचनीय प्रवृत्ति
आवश्यकता आविष्कार की जननी है
हर किसी के भीतर होती है
ये नए विचार की अग्नि।
नए अविष्कारों के लिए कल्पना और ढेर सारे कबाड़ की आवश्यकता होती है।
आज के मानव में सोचने समझने की क्षमता में काफी विकास कर लिया है। यह सोचने समझने की विकसित प्रवृत्ति आज हम सबके जीवन यापन को सरल और रोचक बना दिया है।और आशा करता हूं भविष्य में और भी सरल व रोचक भरा जीवन व्यतीत करने को मिलेगा।
आज के मानव की सोचनीय प्रवृत्ति इतनी बढ़ गई है कि वह हर दिन कुछ नया करना चाहता है।और इतना ही नहीं वह पुरानी चालू चलन रीति-रिवाज या पुराने कार्यों को संजोकर सुरक्षित रखना भी चाहता है क्योंकि यह सब आने वाली पीढ़ी के लिए सोच विचार का साधन हो सकते हैं।या यूं कहे की पुरानी चीजें नई पीढ़ी को सोचने के लिए विवश करेंगी पुरानी चीजें हमारी धरोहर संपत्ति तो बनेगी ही।
आज की आधुनिक मानव की सोच की प्रवृत्ति इतनी कि वह हर कदम पर कुछ नया करना चाहता है।वह पुरानी चीजों को करना नहीं बल्कि संरक्षित करके ही केवल रखना चाहता है। और नए चीजों को के विकास को लगातार गति देना चाहता है।
मानव आदिमानव जीवन में केवल भोजन एकत्रित करने से लेकर आज चंद्रमा सूर्य तथा अन्य का गोली पीने पर अपना वर्चस्व कायम किया है। और नई जानकारियां भी उपलब्ध कराई है भविष्य में और भी बहुत सारी रोचक व अन्य सभी नयी जानकारियां जुटाने का प्रयास करता रहेगा।
इतना ही नहीं पुराने समय में जहां हम कुछ दूरी तय करने में एक महीना या साल लगाते थे वह दूरी आज हम कुछ घंटों में ही तय कर लेते हैं।जो कि आधुनिक अविष्कार से संभव है यह आधुनिक आविष्कार आज के मानव की सोचनीय प्रवृत्ति का ही परिणाम है।
यहां हम नए युग की बात करें तो हम ग्रामीण परिवेश और कृषि की चर्चा किए बगैर रह ही नहीं सकते।ग्रामीण परिवेश भी काफी कुछ विकसित हो गया है बहुत से घर मकान भी अपेक्षाकृत पहले से अच्छे बन गए है। और ग्रामीणों का जीवन स्तर भी पहले की अपेक्षा ऊपर उठा है। अगर पहले की बात करें तो गांव में कोलिया छड़िया बारोठ बरामदा चौपाल खलिहान कुआं आदि आदि बनाए जाते थे।जिनका लगभग गांव में अंत हो चुका है और उन सब के स्थान पर नई जरूरत के हिसाब से उनको बदल दिया गया है।
बात अगर कृषि की करें जहां जंगलों को काट कर सिर्फ एक बार फसल उगाने से लेकर आज के विकसित दौर में जब से कृषि के नए आविष्कार और नई मशीनरी सामने आई है। तब से तो कृषि में क्रांति ही आ गई है। और अगर हम नई चीजों को नए आयामों को कृषि में समावेश नहीं करते तो शायद बढ़ती हुई विशाल जनसंख्या का भरण-पोषण सम्भव न होता।आज तरह-तरह की मशीनें कटाई के लिए रीपर, मडाई के लिए कंबाइन थ्रेशर, सिंचाई के लिए इंजन और सबमरसिबल,जुताई के लिए ट्रैक्टर का उपयोग हो रहा है।आज के नए आयाम सिर्फ जमीन तक ही सीमित नहीं है।वायु में एयरोपोनिक्स,जल में हाइड्रोपोनिक्स,और पहाड़ी इलाकों के साथ साथ आज पत्थरों पर भी खेती को संभव बना दिया गया है यह सब नयी सोच का ही परिणाम है।
आज हम जो भी अविष्कार देख रहे हैं वह सब मानव की सोचनी प्रवृत्ति के कारण ही सब संभव हो सके हैं।हम सब को भी इन सब चीजों के बारे में विचार करना चाहिए।और सोचना चाहिए और नई चीजों को करने के लिए खुद और दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए।
दोस्तों आर्टिकल यदि अच्छा लगा हो तो कमेंट सेक्शन में राय जरूर दीजिएगा ।।
धन्यवाद
- सुधीर भार्गव
Sudheer Bhargav
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